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सिनेमा टोक भाग-13, DDLJ भाग-2, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022 भाग -26

सिनेमा टोक भाग-13, DDLJ भाग-2, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022 भाग-26

Dilwale Dulhaniya Le Jayenge  भाग-2 

हेल्लो लेखनी, 

डी.डी.एल.जे. भाग-1 मे हमने कुछ कलाकारो के बारे मे और फिल्म के संगीत के बारे मे जानकारी ली। आज भी फिल्म के बारे मे कुछ बाते होगी और कलाकारो मे परमीत सिंघ सेठी (कुलजीत सिंघ), पूजा रुपारेल (चुटकी) और अमरीश पुरी के बारे मे बाते करेंगे और फिल्म के बारे मे भी कुछ ज्यादा जानकारी लेते है। 

तो आइये शुरु करते है कुलजीतसिंघ यानी परमित सिंघ सेठी से... 

1. परमित सिंघ सेठी:  जन्म: 11 डीसेम्बर 1966, न्यु दील्ही (हाल आयु: 55 साल) परमितसिंघ सेठी आज तो प्रोड्युसर, राइटर और डायरेक्टर के रुप मे जाना माना नाम है। लेकिन उस की एक और पहेचान ये है की एक हस्ती जो टेलीवीजन की कोइ भी कोमेडी सीजन मे केवल हसती ही रहती है और आजकल कपिल शर्मा कोमेडी नाइट्स मे जिस ने नवजोत सिद्धु साहब का स्थान छिन लिया है (ये कपिल बोलता है, मै नही) वो अर्चना पुरनसिंघ के पतिदेव है। आप अगर कपिल शर्मा शो देखते है और कपिल जिस मे बार बार जिक्र करता है की अर्चनाजी अपने पति का हाथ मरोड के काम करवा लेती है वो पतिदेव परमित सिंघ सेठी है। 

डी.डी.एल.जे. उन की डेब्यु फिल्म थी और बाद मे भी कुछ फिल्मो मे उन्होने काम किया, लेकिन नेगेटिव रोल्स ही ज्यादा किये है।

 

वैसे मैने अपनी लाइफ मे सीरीयल्स बहुत कम देखे है और अगर देखता हु तो भी सस्पेंस थ्रीलर हो तो ही। ये फेमिली ड्रामा कभी नही देखता। लेकिन 1995 मे झी-टीवी पर एक सीरीयल थी, नाम था ‘दास्तान’। इस सीरीयल मे परमित सेठी का नाम करन कपूर है। वो सीरीयल मुजे बहुत पसंद आइ थी और ये सीरीयल परमित का भी डेब्यु सीरीयल था।  

जुन 1992 मे परमित ने अचना से शादी कर ली और इन के दो बच्चे भी है। निक्की अनेजा वालिया जो टीवी की मशहुर कालाकारा है वो परमित की कजिन है। . 

परमित ने 2010 मे फिल्म ‘बदमाश कंपनी’ से डायरेक्टर का डेब्यु किया और जी सिने एवार्ड मे उस फिल्म के लिये बेस्ट डायरेक्टर का एवार्ड मे नोमिनेशन भी पाया। 


टीवी पर और ओ.टी.टी. प्लेटफोर्म पर भी परमित ने अभिनय किया है। हाल ही मे ‘स्पेश्यल ओप्स’ और ‘हंड्रेड’ की सीरीज मे भी काम किया है।


वैसे आप को ये भी बताना जरुरी समजता हु की अगर आप वेबसीरीज देखते है...वैसे फेमिली के साथ कोइ भी वेबसीरीज देखना खतरो से खाली नही होगा...क्युकी गालीया, इंटिमेट सीन्स से सभी वेबसीरीज हिन्दुस्तान के कल्चर को बरबाद कर ही रहा है। फिर भी साफसुथरी वेबसीरीज अगर आप फेमिली के साथ देखना चाहते हो तो केवल एक ही वेबसीरीज अभी तक बन पाइ है और वो है ‘पंचायत’। एमेजोन प्राइम पर ये प्रसारीत हो रही है और 2 सीजंन्स आ चुके है। 


लेकिन अगर आप मेरी सुने तो अब तक भारत की सब से अच्छी वेबसीरीज बनी है तो ‘स्पेश्यल ओप्स’ (2 सीजन है और दोनो के दोनो बेस्ट है) 


वैसे परमित ने यशराज फिल्म्स के लिये ही ‘बदमाश कंपनी’ को डायरेक्ट किया था और इस फिल्म की स्क्रिप्ट और डायलोग्स केवल 6 दिनो मे उन्होने लिखे थे और यह फिल्म जिस मे शाहीद कपूर और अनुश्का शर्मा थे उस फिल्म ने बोक्स ओफिस पर 530 मिलियन कमाइ कर दी थी। 2008 मे फिल्म ‘दश कहानिया’ के कार्य करने के बाद उन्होने सन्यास लिया और 2015 मे जोया अख्तर की फिल्म ‘दिल धडकने दो’ से कमबेक किया। परमित आज भी एक्टिव है।


2. पूजा रुपारेल: जन्म: 21 नवम्बर 1980 (हाल आयु: 41 साल) मुम्बइ पूजा रुपारेल जिसे हम डी.डी.एल.जे. की चुटकी के नाम से जानते है उन्होने अभिनय 1993 की बच्चो की फिल्म ‘किंग अंकल’ मे एक छोटे लडके ‘मुन्ना’ के नाम से अभिनय शुरु किया। इस फिल्म मे जेकी श्रोफ और शाहरुख खान के साथ उन्होने काम किया। लेकिन उन को नाम मिला अपनी दुसरी ही फिल्म ‘डी.डी.एल.जे. से। 


पूजा को फिल्मो मे ज्यादा सफलता नही मिली और न तो टीवी पर। लेकिन आज वो स्टेंड अप कोमेडीयन और गाइकी से मशहुर है। 


वैसे पूजा की सगी बहन भावना रुपारेल साउथ फिल्मो की सुपरस्टार है और बोलीवुड की मशहुर एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा उन की मेटरनल कजिन है। पूजा और भावना रुपारेल की नानीमा और सोनाक्षी सिन्हा की नानीमा दोनो सगी बहने है। 


पाकिस्तान की मशहुर गायक नाजिया हसन के एक आल्बम का गीत ‘अखिया मिलानेवाले’ के रीमेक्ष सोंग मे पुजा ने अभिनय किया है। पूजा फिल्हाल एक्टिंग के सक्रिय नही है। लेकिन मशहुर यु-ट्युबर जरुर है।


3. अमरीश पुरी : जन्म: 22 जुन 1932, नवाशहर, पंजाब ब्रीटीश इंडिया, म्रुत्यु : 12 जनवरी 2005 मुम्बइ (आयु: 72 साल) पत्नी: उर्मिला दिवेकर, बेटा: राजीव पुरी और बेटी : नम्रता पुरी (मोडेल)

आप मे से कोइ ने फिल्म ‘ये साली आशीकी’ अगर देखी हो तो उस फिल्म के हीरो ‘वर्धान पुरी’ अमरीश पुरी के पौत्र है। 

लेकिन अमरीश पुरी की असली पहचान अब देता हु। बोलीवुड के सब से पहले फेमस गायक कुन्दन लाल सायगल (जो के. एल. सायगल के नाम से फेमस थे) और अमरीश पुरी दोनो कजिन थे।

अमरीश पुरी से बडे दो भाइ थे और एक छोटा भाइ है। छोटे भाइ का नाम है हरीश पुरी जो खास फेमस नही है....लेकिन बडे दोनो भाइ मशहुर विलैन रह चुके है। सब से बडे मदनपुरी (कइ फिल्मो मे यादगार विलन का रोल किया है। दीवार मे अमिताभ बच्चन जिस से मिलने के लिये समय मांगता है और उन से ही गद्दारी करता है वो है मदनपुरी) और दुसरे भाइ का नाम है चमन पुरी। 

वैसे तो अमरीश पुरी अपनी भारी आवाज से थीयेटर की जान थे और काफी फिल्मो मे काम किया। लेकिन उस को बोलीवुड शेखर कपूर की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के विलैन मोगेम्बो के नाम से वो बहुत  मशहुर हुवे। ’शोले’ के गब्बर का डायलोग...जो डर गया वो समजो मर गया... ’कालीचरन’ के लायन का डायलोग...मोना डार्लिंग...या फिर सारा शहर मुजे लायन के नाम से जानता है...... ठीक वैसे ही ‘मि. इंडिया’ का डायलोग उतना ही फेमस हुवा था...’मोगेम्बो खुश हुवा...’ 

अमरीशपुरी होलीवुड के बेहतरीन डायरेक्टॅर स्टीवन स्पिलबर्ग (जुरासिक पार्क) की फिल्म इंडियाना जोन्स एंड ध टेम्पल ओफ डुम (1984) के ‘मोला राम’ किरदार से भी काफी मशहुर हुवे थे। अमरीशजी ने हिन्दी और इंग्लिश के अलावा पंजाबी, मराठी, तेलुगु, मलयालम और तामिल फिल्मो मे भी काम किया है। उन के पौत्र वर्धान पुरी ने अपने दादा के नाम से प्रोडक्शन हाउस का नाम भी खोला है ‘अमरीश पुरी फिल्म्स’। 

कपिल शर्मा के कपिल अमरीश की नकल काफी अच्छी कर लेते है। 

1967 से 2005 तक अमरीशजी ने करीब 450 से भी ज्यादा फिल्मो मे काम किया और लेकिन ज्यादा विलेन के रोल्स किये है। चरित्र अभिनेता के तौर पर भी उन की बेहतरीन फिल्मे है जैसे ‘घातक’, ‘गर्दिश’, ‘डी.डी.एल.जे’, ‘मुजे कुछ केहना है’, ‘परदेश’....लम्बी लिस्ट है।


1950 के आसपास अमरीश पुरी मुम्बइ आये और अपने भाइयो की तरह अपने पैर बोलीवुड मे जमाने की कोशिश की। लेकिन वे अपने पहले स्क्रीन टेस्ट मे ही असफल रहे और उन्होने कर्मचारी राज्य वीमा निगम श्रम और रोजगार मंत्रालय (ई.एस.आइ.सी.) मे नौकरी स्वीकार कर ली। उस समय उन्होने सत्यदेव दुबे द्वारा लिखित नाटको मे काम मिला और प्रुथ्वी थीयेटर मे प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। एक दौरा आया की अमरीश पुरी के अभिनय से मंच प्रभावित होने लगा और 1979 मे संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीता। थीयेटर से ही आगे टीवी एड मिलने लगी लेकिन फिल्मो ने काम अभी नही मिल रहा था।


1970 के दशक के दौरान अमरीशजी अक्सर फिल्म के मुख्य विलेन के सहायक भुमिकाओ मे काम करते थे। लेकिन 1980 की सुपर हीट फिल्म ‘हम पाच’ मे उन्होने मुख्य खलनायक की भुमिका निभाइ थी और बाद मे उन्हे मुख्य खलनायक के रोल्स मिलने लगे।


मैने फिल्म ‘मुघल-ए-आझम’ (इस श्रुंखला का पहला पोस्ट) मे दीलीपकुमार के बारे मे लिखते वक्त सुभाष घाइ की फिल्म ‘विधाता’ का जिक्र किया था। ये वही फिल्म थी जहा से दीलीपसाब ने अपनी फिल्म केरीयर और आगे बढाइ और अमरीश पुरी मुख्य विलन ‘जगावर चौधरी’ की भुमिका निभाइ। उसी साल बोलीवुड के दो दिग्गज कलाकार दीलीपकुमार और अमिताभ बच्चन की एक साथ पहली और आखरी फिल्म ‘शक्ति’ मे बेहतरीन विलन का रोल किया।


सुभाष घाइ की ही अगली फिल्म और जेकी श्रोफ की पहली डेब्यु फिल्म ‘हीरो’ मे मुख्य खलनायक ‘पाशो’ के रुप मे कास्ट किया। बाद मे सुभाष घाइ की हर एक फिल्म मे अमरीश पुरी की भुमिका निश्चित हो चुकी थी। 


अमरीश पुरी ने रिचर्डॅ एटॅनबरो की इंटॅरनेशनल फिल्म ‘गान्धी’ मे खान की भुमिका निभाइ और आगे लिखा वो इन्डियाना जोंस इन दो फिल्मो से वे आंतरराष्ट्रिय दर्शको के लिये भी जानेमाने कलाकारो मे शामिल हो गये। ‘इंडियाना जोंस’ की शुटिंग के लिये अमरीश ने अपना सिर मुंडवा लिया और इस लुक से बोलीवुड की बाद की फिल्मो मे अलग अलग लुक के द्वार जैसे खुल गये और उस के बाद कइ फिल्मो मे अमरीश पुरी का लुक अलग अलग देखने को मिलता है। 

स्टीवन स्पिलबर्ग कहते थे की अमरीश मेरा सब से ज्यादा पसंदीदा खलनायक है दो दुनिया का बेहतरीन खलनायक भी है। 


खलनायक की भुमिकाओ मे प्रमुख ‘मि. इंडिया का मोगेम्बो, मेरी जंग मे ठकराल, त्रिदेव मे ‘भुजंग, घायल मे बलवंतराय, दामिनी मे बारिस्टर चढ्ढा, करण अर्जुन मे ठाकुर दुर्जन सिंघ और चाची 420 मे हास्य भुमिका मे वो छा गये थे। मेरी जंग और विरासत फिल्मो के लिये सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी उसे मिला। 


अमरीश पुरी एक अति जटिल प्रकार के ब्लड केंसर मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम से प्रभावित थे और 27 दिसम्बर 2004 को हिन्दुजा होस्पिटल मे भर्ती होने के बाद उन की स्थिती के लिये सिर की सर्जरी हुइ जिस से सिर पर जमा हुवे ब्लड को लगातार हटाने की आवश्यकता थी। कुछ समय के बाद वो कोमा मे चले गये और आखिरकार 12 जनवरी 2005 को उन की म्रुत्यु हो गइ। 


लोगो को उन के पार्थिव देह के अन्तिम दर्शन के लिये आवास पर बडी भीड जमा हुइ थी और 13 जनवरी 2005 के दिन शिवाजी पार्क स्मशान मे उन का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 


22 उन 2019 को ,अमरीश पुरी को गुगल डुडल्स द्वारा उन के 87 वे जन्मदिन पर गुगल पर उन की तस्वीर और साथ मे लिखा ह्वुआ पाठ इस प्रकार से सन्मानित किया गया...”यदी पहली बार मे आप सफल नही होते हो तो कोशिश करे, फिर से प्रयास करे- और आप भारतीय फिल्म अभिनेता अमरीश पुअरी की तरह हो सकते है, जिन्होने एक शुरुआती झटके पर काबु पा लिय और बाद मे अपने बडे पर्दे के सपने को पुरा करने का तरीका पा लिया। 


अमरीश पुरी ने निम्नलिखित पुरस्कार पाये है।


पुरस्कार

1968: महाराष्ट्र राज्य नाटक

1979: रंगमंच के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

1986: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - मेरी जंग

1991: महाराष्ट्र राज्य गौरव पुर घटक

1997: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए स्क्रीन अवार्ड -  घातक

1997: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार -  घातक

1998: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - विरासत

1998: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए स्क्रीन अवार्ड - विरासत

पुरस्कार नामांकन

1990: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - त्रिदेव

1992: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - सौदागर

1993: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - मुस्कुराहट

1993: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - तहलका

1994: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार – गर्दिश

1994: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - दामिनी

1996: सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार - दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

1996: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - करण अर्जुन

1999: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - कोयला

2000: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - बादशाह

2002: सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार - गदर: एक प्रेम कथा

2002: नकारात्मक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ज़ी सिने पुरस्कार - गदर: एक प्रेम कथा

बस अमरीश पुरीजी के लिये इतना ही....चलिये अब चलते है फिर से डी.डी.एल.जे. की स्टोरी की ओर.... वार्ता का थीम....

दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ये फिल्म परिवार, प्रेम और विवाह के सामान्य रुढिवादी प्रथा को दोहराते है और साथ साथ यह भी प्रास्ताविक है की भारतीय पारिवारिक मुल्यो की सम्पती को जो की भारतीय मुल सम्पत्ती है जिन्हे निवास के देश की परवाह किये बीना भी बरकरार रखा जा सकता है। इस थीम को साबित करने के लिये लंडन मे पले-पढे एन.आर.आइ. राज को कहानी के ‘अच्छे आदमी’ के रुप मे दिखाया गया है। यही विशिष्टता दुसरी फिल्मो से इन्हे अलग करती है। यहा भले राज एन.आर.आइ. है लेकिन वो भारतीय नागरिको के रुप मे एक रोल मोडेल के रुप मे मान्य होता है। 

कहानी का उद्देश्य पारंपरिक मुल्यो एवम व्यक्तिवाद के आधुनिक मुल्यो के बीच के संघर्ष को दिखाना, उसे पकडना और हालात को संभालना है। जब राज और सिमरन मे सिमरन उस के लिये उस के पिता की योजनाओ के परवाह किये बेना एक साथ रहना चाह्ते है और राज अपनी प्रेमिका के पिता को जीतने की कोशिश मे जुजता है जब की वो सिमरन को लेकर भाग भी सकता है। लेकिन नही....इस फिल्म मे और अन्य भारतीय फिल्मो की कहानीयो मे पारंपरिक मुल्यो को ठीक रोमांटिक अंदाज से अधिक महत्वपुर्ण माना जाता है। नैतिक मुल्यो और आचनरण के नियमो को व्यक्तिगत इच्छाओ पर संस्कार के आधार पर अधिक मुल्यवान दिखाया गया है। इस फिल्म मे ‘भारतीयता’ को पारिवारिक जीवन के महत्व से पारिभाषित किया जा सक्ता है फिर चाहे देश मे हो या विदेश मे, भारतीय परिवार व्यवस्था को सामाजिक संस्था के रुप मे मान्यता प्राप्त है, थी और रहेगी। 


दुसरा इस फिल्म मे एक लडकी की पवित्रता को राष्ट्र से जोडा जा रहा है। राज जब कहता है “आप को लगता है की मै मुल्यो से परे हु...लेकिन मै एक हिन्दुस्तानी हु और मुजे पता है की एक हिन्दुस्तानी लडकी की इज्जत और सन्मान क्या है? इसिलिये मेरा विश्वास करो, कल रात हम दोनो के बीच कुछ नही हुवा।“ 


यह डायलोग ही हमारी परंपरा को और आगे और महान साबित करता है। 


राज केरेक्टॅर भारतीय महिला की शादी से पहले परपुरुष के साथ नही रहने की आवश्यकता के बारे मे सोचता है, बाते करता है और भारतीय पुरुष की जिम्मेदारी निभाने के कोशिश करने पर तुला हुवा है। भले ही वो शरारती है...विदेश के माहोल मे विदेशी तरीके से भले वो सिमरन को चिडाता है...उस की हासी उडाता है....भयानक मजाक कर लेता है...लेकिन जब वो सिमरन को देखता है की वो केवल इसी खयाल से तुट चुकी है की अगली रात नशे मे वो अपनी पवित्रता खो चुकी है...तब वो परिस्थिति को संभालता भी है और उसे वापस खुश रखने के तरीके भी अपने ही अंदाज मे अपनाता है। 


इस फिल्म का दुसरा कोना जिस के बारे मे बहुत कम लोगो ने सोचा है। ध रुट्लेज इंनसायक्लोपीडीया ओफ फिल्म्स मे रजनी मजुमदार का कहना है की फिल्म एक अधुरी इच्छाओ की एक अवीरत चल रही थीम है। जैसे राज के डेड उसे जीवन का आनंद लेने के लिये कहा की उस का अपना एक संघर्ष था और वो अपने बेटे को जीवन जी लेने के लिये प्रोत्साहित करता है...जब की सिमरन की मा सिमरन को भगाने के लिये राज को बोलती है क्युकी वो खुद अपने सपनो को जीने मे असमर्थ थी। और दुसरी ओर सिमरन के बाबुजी अपने दोस्त को दिये हुवे वचन के लिये सिमरन को उस की इच्छा के बीना ही उस की शादी पक्की करवा लेते है। लेकिन जब वो राज की आखो मे अपने साथ हुवे अन्याय के खिलाफ आग उगलते हुवे देखते है और उस की हाजरी मे सिमरन को केवल प्यासी निगाहो से देखने के सिवा कुछ ओर नही करता और चुपचाप ट्रैन मे चढ जाता है तब वो मेहसुस करता है की राज के सिवा कोइ ओर हो ही नही सकता जो उस की लाडली सिमरन को संभाल पाये....क्युकी हर बाप का सपना अपनी बेटी को खुश..बहुत खुश देखना ही होता है और ये अधुरा सपना सिमरन के बाबुजी केवल राज मे ही पुरा होता हुवा देख पाते है।


रोजर एबर्टॅ की वेबसाइट के लिये लिखते हुवे स्कोट जोर्डन हैरिस का कहना है की फिल्म की लोकप्रियता समाज के विभिन्न हिस्सो मे आकर्षक दो विरोधी विषयो को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने की क्षमता मे निहित है। वो कहते है की,”यहा तर्क है की हमे अपने दिलो का अनुसरण करना चाहिये और जहा कही भी खुशी मिलती है, हमारे रास्ते मे बाधाओ की परवाह किये बिनाम साथ ही साथ यह सुझाव देना चाहिये की हमे अपने बडो, विशेष रुप से अपने माता-पिता के तरीको का सम्मान करना चाहिये। और एसा कुछ भी नही करना चाहिये जो उन की इच्छाओ को चुनौती दे। 


दुसरी ओर राहेल डायर का कहना है की,”यह फिल्म माता-पिता और बच्चो के बीच विवाह को एक समज के रुप मे पेश करने के लिये महत्वपुर्ण थी। एरेंज मेरेज की पुरानी परंपरा से लडती हुवे, इस ने प्रेम विवाह के लिये भी, माता-पिता की सहमती लेने के महत्व को प्रोत्साहित किया। पेट्रीसिया ओबेरोय के अनुसार डी.डी.एल.जे. ने हम आप के है कौन के विषय को दोहराहा जरुर लेकिन अपना एक अनोखा द्रष्टीकोण भी है। एक आत्म-नागरिक तरीके से इसे स्पष्ट रुप से इस तथ्य से जोडते हुवे की नायक खुद को और एक दुसरे को याद दिलाते है की भारतीयता क्या है और भारतीय होने का क्या मतलब है? 


चलिये डी.डी.एल.जे भाग-2 मे बस आज इतना ही...अगले भाग मे इस फिल्म के मुख्य कलाकार बादशाह खान यानी किंग खान शाहरुख खान या फिर काजोल के बारे मे जानकारी प्राप्त करंगे और फिल्म से जुडी अन्य बाते भी जानेंगे....


लेकिन जाते जाते फिर से एक ‘राज’ की बात बताना चाहुंगा.....


जिस शाहरुख खान को बोलीवुड के साथ हिन्दुस्तान की जनता....’रोमेंटिक हीरो’ और जो मुद्रा वो हमेशा करता है...दोनो हाथ फैलाये...हीरोइन को आहवाहन देता है...ये चित्र उस को रोमेंटिक हीरो बनाता है.....दरअसल ये रोमेंटिक हीरो की उपाधि शाहरुख खान को इस फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे से ही मिली थी।....


लेकिन क्या आप को पता है की शाहरुख ने ‘राज’ के किरदार को रीजेक्ट कर दिया था और कारण दिया था की वो केवल नकारात्मक भुमिकाये ही कर सकता है....प्यार, रोमांस और रोमेंटिक हीरो बनना उस के बस की बात नही है....क्युकी इस ए पहले वो ‘बाजीगर’, ‘डर’, ‘दीवाना’ जैसी फिल्मो मे ग्रे शेड हीरो की भुमिका निभा चुके थे। लेकिन ऐसा क्या हुवा होगा की शाहरुख खान ‘राज’ बन ने को तैयार हो गया ?.....राज के किरदार निभाने के बाद शाहरुख खान की फिल्मी केरीयर मे क्या बदलाव आया ? डायरेक्टर आदित्य चोपरा की यशराज की ओफिस के बाहर एक पोस्टर है....शाहरुख खान ने बनवा के दिया है....क्या है वो पोस्टर? क्यु दिया? क्या लिखा है उस मे?  जानते है अगले भाग मे...तब तक...अलविदा.....दोस्तो।

# नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज 2022 भाग-26

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6 Comments

Barsha🖤👑

08-Oct-2022 09:03 PM

Nice post 👍

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PHOENIX

09-Oct-2022 12:26 AM

Thank you

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Seema Priyadarshini sahay

07-Oct-2022 09:41 PM

बेहतरीन जानकारी

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PHOENIX

08-Oct-2022 07:38 PM

Thank you

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Gunjan Kamal

06-Oct-2022 10:55 PM

👏👌🙏🏻

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PHOENIX

06-Oct-2022 11:59 PM

Thanks

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